
भारत और अमेरिका के बीच दो साल के भीतर ही हालात पूरी तरह से बदल गए हैं. ये हैरान करने वाली बात है. सिर्फ़ दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्हाइट हाउस में गर्मजोशी से स्वागत किया गया था.
अमेरिकी संसद में उनके भाषण पर ज़ोरदार तालियां बजाई गई थीं. वह पल इस बात का प्रतीक था कि लगातार बंटती जा रही दुनिया में भारत अमेरिका का एक भरोसेमंद पार्टनर है.
राष्ट्रपति जो बाइडन ने मोदी का खुले दिल से स्वागत किया था. इसके पीछे दो रणनीतिक मक़सद थे. पहला, अमेरिका चाहता था कि भारत यूक्रेन पर रूस के हमले के मामले में थोड़ा साफ़ रुख़ अपनाए.
दूसरा, भारत को एक ऐसे गठबंधन में शामिल करना जो चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना कर सके.