
प्रस्तावना
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई ‘लाडली बहना योजना’ अब विवादों में घिरती नजर आ रही है। योजना की मूल भावना जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की है, वहीं महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में इस योजना के तहत पुरुषों के बैंक खातों में राशि ट्रांसफर होने का मामला सामने आने से पूरे सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं।
योजना क्या है?
मध्य प्रदेश सरकार की यह फ्लैगशिप योजना 10 जून 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई थी। इसके तहत:
- 21 से 60 वर्ष की अविवाहित, विवाहित, विधवा या परित्यक्त महिलाओं को हर महीने ₹1250 दिए जाते हैं।
- लाभ सीधे महिला के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के ज़रिए पहुंचता है।
- इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को घर और समाज में आर्थिक स्वतंत्रता देना है।
विवाद का जन्म: पुरुषों को कैसे मिला लाभ?
महाराष्ट्र में यह योजना सीधे लागू नहीं है, लेकिन कुछ प्रवासी लाभार्थियों या सीमा से लगे जिलों में रहने वालों ने योजना का लाभ उठाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए आवेदन किया। रिपोर्ट्स के अनुसार:
- पुरुषों के नाम पर योजना की किस्तें ट्रांसफर हुईं।
- कुछ मामलों में आधार नंबर, नाम और फोटो mismatched पाए गए।
- बैंक खातों की KYC में गड़बड़ी के चलते यह अनियमितता पकड़ी नहीं गई।
प्रशासन का रुख
जैसे ही यह मामला सामने आया, राज्य और केंद्र सरकार दोनों की ओर से संज्ञान लिया गया:
- जांच कमेटी गठित की गई है।
- फर्जी लाभार्थियों की पहचान कर ली गई है।
- गलत तरीके से मिली रकम की वसूली प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
- एफआईआर दर्ज करने और आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
तकनीकी कमज़ोरी या इंसानी लापरवाही?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गलती तकनीकी लापरवाही, डाटा एंट्री की चूक, और समुचित वेरिफिकेशन की कमी के कारण हुई। उदाहरण के लिए:
- नाम से महिला समझा गया, लेकिन आधार कार्ड में लिंग “पुरुष” था।
- गांव के पंचायत स्तर पर सही डॉक्युमेंट वेरीफाई नहीं किए गए।
- CSC (Common Service Center) और बैंक एजेंट्स ने बिना जांच किए फॉर्म भर दिए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को सरकार की नाकामी बताया है। कांग्रेस और अन्य दलों ने कहा कि:
“इस योजना के नाम पर सिर्फ़ प्रचार हो रहा है, ज़मीनी स्तर पर लाभार्थियों की पहचान तक सही से नहीं हो पा रही।”
वहीं, बीजेपी नेताओं ने इसे छोटे स्तर की चूक बताकर जल्द सुधार का भरोसा दिलाया।
क्या है समाधान?
- आधार और बैंक खाता लिंकिंग का सख्त सत्यापन।
- पंचायत/नगरपालिका स्तर पर लाभार्थी की फिजिकल वेरिफिकेशन।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डुप्लीकेट चेकिंग सिस्टम।
- CSC और बैंकों पर जवाबदेही तय करना।
- योजना में सोशल ऑडिट अनिवार्य करना।
निष्कर्ष
‘लाडली बहना योजना’ जैसी पहलें यदि सही ढंग से लागू हों, तो वे महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं। लेकिन इस तरह की लापरवाहियां या धोखाधड़ी न केवल योजना की साख को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि असली लाभार्थियों को भी उनके अधिकार से वंचित कर देती हैं।
सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी योजनाओं की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करे ताकि यह भरोसा बना रहे कि जनता का पैसा सही हाथों में जा रहा है।