
”पिछले 20-30 साल से देख रहा हूं कि हिंदुस्तान की न्यायपालिका की हालत धीरे-धीरे ख़स्ता होती जा रही है. जब मैंने 1978 में वकालत शुरू की थी, तब न्यायपालिका बहुत स्वतंत्र थी. ये माहौल धीरे-धीरे बिगड़ता गया.”
“अभी भी कुछ बहुत अच्छे जज हैं. लेकिन वैसे जज गिने-चुने हैं… ऐसे वातावरण में 48 साल के बाद वकालत जारी रखने में कोई आनंद नहीं था.”
ये शब्द सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे के हैं.
आमतौर पर वकील रिटायर नहीं होते तो आख़िर उन्होंने यह फ़ैसला क्यों किया?
कुछ दिनों पहले की बात है. अपना 70वां जन्मदिन मनाने के बाद दुष्यंत दवे ने वकालत छोड़ने का एलान किया था. हमारे संवाददाता उमंग पोद्दार ने उनसे ऐसे ही कई सवाल के जवाब जानने चाहे. सवालों में करियर और न्यायपालिका से जुड़े कई मुद्दे शामिल थे.